एशिया का सबसे बड़ा शहरी विस्थापन

मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में मोरवा नगर जल्द ही नक्शे से मिटने जा रहा है। नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (NCL) की कोयला परियोजना के विस्तार के चलते यह भारत और एशिया का सबसे बड़ा नगरीय विस्थापन होगा।

विस्थापन के आंकड़े

प्रभावित परिवार: 30,000 से अधिक परिवार विस्थापित होंगे

टूटने वाली इमारतें: 22,000 घर और दुकानें ध्वस्त की जाएंगी

भूमि अधिग्रहण: मोरवा शहर के वार्ड क्रमांक 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 और 10 की कुल 1,485 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की जाएगी

कोयला भंडार: मोरवा टाउनशिप के नीचे 600 मिलियन टन कोयला मौजूद है

सामाजिक बुनियादी ढांचे का नुकसान

शिक्षण संस्थान:

20 स्कूल (प्राइमरी से हायर सेकेंडरी तक)

4-5 कॉलेज (डिग्री कॉलेज, कंप्यूटर कॉलेज, लॉ कॉलेज)

12,000 छात्र प्रभावित होंगे

स्कूलों ने अगले सत्र से एडमिशन बंद करने के निर्देश दे दिए हैं

अन्य संस्थान:

कई अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र

मंदिर और मस्जिदें

5,000 से अधिक दुकानें

NCL का मुख्यालय और आवासीय कॉलोनी

मुआवजा और बजट

कुल मुआवजा राशि: लगभग 24,000 करोड़ रुपये विस्थापितों के मुआवजे के लिए आवंटित

मुआवजा वितरण: NCL एक-एक वार्ड का विस्थापन कर मुआवजा वितरण करेगी ताकि लोग समय पर अपनी नई व्यवस्था कर सकें

समयसीमा और योजना

मास्टर प्लान: 2032 तक का मास्टर प्लान तैयार, कोल इंडिया बोर्ड से मंजूरी मिल चुकी है

पहला चरण: अप्रैल 2025 तक शुरू होना था

मुआवजा वितरण: मई 2025 से चेक वितरण की योजना

विस्थापन पूर्णता: 2032 तक पूरी प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद

कोयला उत्पादन: अगले दस सालों में उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य

उत्पादन लक्ष्य

जयंत कोल माइन की उत्पादन क्षमता 30 MTPA से बढ़ाकर 2026-27 तक 35 MTPA करने का लक्ष्य। यहां से उत्पादित कोयला मध्य प्रदेश में दो NTPC पावर प्लांट्स के लिए आवश्यक है, जिनकी संयुक्त उत्पादन क्षमता 6,500 MW है।

छात्रों की चिंता

विस्थापन के कारण 12,000 छात्रों का भविष्य खतरे में है। स्कूलों ने नए एडमिशन बंद कर दिए हैं और माता-पिता परेशान हैं कि उनके बच्चों की आगे की पढ़ाई कहां और कैसे होगी। NCL प्रबंधन और जिला प्रशासन ने अभी तक बच्चों की शिक्षा के लिए कोई स्पष्ट विकल्प नहीं दिया है।

बहु-विस्थापन की समस्या

सिंगरौली में कई परिवार पहले भी विस्थापित हो चुके हैं। नए भूमि अधिग्रहण कानून 2013 की धारा 40 में बहु-विस्थापन को मान्यता दी गई है और यदि बहु-विस्थापन रोका नहीं जा सकता, तो मुआवजे की राशि दोगुनी होनी चाहिए।

NCL का पक्ष

NCL के प्रवक्ता राम विजय सिंह के अनुसार: "मोरवा के लोगों के विस्थापन की प्रक्रिया पूरी तरह से लोकतांत्रिक तरीके से की जा रही है। हम यहां के सभी संगठन व संघों के साथ मिलकर इस प्रक्रिया को अंतिम रूप दे रहे हैं।"

NCL के जनसंपर्क अधिकारी ने आश्वासन दिया कि बच्चों के भविष्य को देखते हुए धीरे-धीरे विस्थापन किया जाएगा और समय पर मुआवजा वितरण होगा।

प्रशासनिक स्थिति

मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने बजट 2025-26 में सिंगरौली विस्थापन का जिक्र किया था। ड्रोन सर्वे और प्लानिंग पूरी हो चुकी है, नोटिस की प्रक्रिया शुरू हो गई है। प्रशासन, NCL और शहरी विकास विभाग मिलकर लोगों को नई जगह बसाने की व्यवस्था कर रहे हैं।

विशेष नोट

यह हरसूद के बाद मध्य प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा विस्थापन है। करीब चार दशक से बसे इस शहर की आबोहवा में लोगों की यादें, संघर्ष और सपने रचे-बसे हैं, जो अब इतिहास बनने वाले हैं।

सिंगरौली विस्थापन